Thursday 7 February 2013

एकतरफ़ा प्यार की छोटी सी कहानी इन पंक्तियों में पेश है...
 
तेरे मेरे दरमियाँ आशिकी कभी आई ही नहीं,

फिर भी खुदा से यारो हमको, शिकायत हाँ जरा भी नहीं।



तेरे मेरे दरमियाँ आशिकी कभी आई ही नहीं,



...
हम साथ होते हैं हर सुबह, हम साथ होते हैं हर शाम,
भले न हो अपना हाथो में हाथ, पर संग में बिताते हैं लम्हे तमाम

अब अगर कोई कह दे , तेरी आदत न रखना
अब अगर कोई कह दे , तेरी आदत न रखना



इस बात की ....गुंजाईश नहीं



तेरे मेरे दरमियाँ आशिकी कभी आई ही नहीं,
फिर  खुदा  से यारो हमको, शिकायत हाँ जरा भी नहीं।





बरसो तलक तुझसे है बाँटी खुशियाँ, सालो से हैं तेरे गम में शरीक

रहे हम हमेशा तेरे आस पास , पर आ सके हम न तेरे करीब

अब अगर तू ही कह दे, आगे भी न है मुमकिन

अब अगर तू ही कह दे, आगे भी न है मुमकिन


समझेंगे खुदा की इनायत नहीं ...



फिर खुदा से यारो हमको, शिकायत हाँ जरा भी नहीं।

तेरे मेरे दरमियाँ आशिकी कभी आई ही नहीं,



.....सचिन्द्र कुमार

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