Monday 5 January 2009

ज़िन्दगी - एक दौड़

गर्दिश मे सितारे मेरे सही,
पर उम्मीद अभी भी बाकी है.

हार न मानूगा हरगिज़ मैं,
आसार जीत के अभी बाकी है.

जाम-ऐ-रौशनी दिखलाएगी,
ये रात चांदनी ख़ुद ही साकी है.

क्या हुआ यार जो आज गिरे हम,
पर ये दौड़ अभी भी बाकी है।

 
................... सचिन्द्र कुमार

Thursday 1 January 2009

शुभ समापन २००८

आने वाली खुशियों को महसूस का रहा हूँ

मैं भी आज कुछ लिखने की कोशिश कर रहा हूँ

एक सुनहरा साल बीतने को है ज़िन्दगी का...

इस साल के हसीं लम्हों को समेटने की कोशिश कर रहा हूँ

किसी और देश की जमीं पर थे जब इस वर्ष के शुरूआती दिन आए...

अपनों की कमी का दुख हमें जा रहा था सताए,

फिर भी जिए शान से सभी मुशिकिलो को भुलाए ....

जिन पर नाज़ है आज हमें...वो रिश्ते हैं इसी साल बनाए...

कुछ ने हमें प्यार दिया ...कुछ ने दुत्कार भी दिया,

कुछ ने जीना सिखाया ...कुछ ने ज़िन्दगी को आकार दिया.

इसी सीखने सिखाने मे मैं बहुत कुछ सीख गया...

पता भी न चला वक्त का... और एक साल बीत गया.
समापन २००८...

आने वाले वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाये
सचिन्द्र कुमार