Tuesday 21 April 2009

अंधों मे काना राजा ........

सरकार पक्ष : विपक्ष ने अपने समय मे ये सब गलत काम किये थे. उनके समय मैं इतना आतंकवाद फैला, इतने दंगे हुए, इतनी राजनीति खेली गई, ये मस्जिद टूटी ये मंदिर टूटे...इतने अत्याचार हुए...और भी कई मुद्दे रोज़ सुन ने मैं आ रहे हैं

विपक्ष पक्ष :ये सरकार बदलनी होगी ..इस सरकार के कार्यकाल मे इतने नुक्सान हुए, इतनी महंगाई बढ़ी, इतनी बेरोज़गारी बढ़ी, इतने दंगे ,इतनी लडाई यही सब, घुमा फिरा कर वोही आरोप....


इस आरोप प्रत्यारोप की राजनीति मे कोई भी पार्टी इस बात पर कम ध्यान दे रही की जनता तक ये बात पहुंचे की आखिर जनता उन्हें वोट क्यों करे , बल्कि प्रचार इस बात के लिए ज्यादा है की दूसरी पार्टी को वोट क्यों न करे.... ....

आप टीवी खोलेंगे तो ये देखेंगे...अखबार उठाइये तो ये पढने को मिलेगा....रेडियो सुनो तो ये सुन ने को मिलेगा...और अगर ये सब छोड़ कर ४ लोगो के साथ बैठ भी जाओ तो भी यही सब डिस्कशन....

क्या ये लोग आम आदमी को इतना नादान समझते हैं की उसे बिलकुल भी समझ नहीं की उसके लिए क्या मुनाफे का सौदा है.....क्या उन्हें नहीं पता की उनके महौल्ले ,शहर, जिले ,प्रदेश मे कौन नेता काम कर रहा है....और कैसा काम कर रहा है...हमारे देश मैं जितने भी वोट डाले जाते है...उसमे से कितने प्रभावित हो कर डाले जाते है...कहना मुश्किल होगा पर हाँ कुछ प्रतिशत तो जरूर होगा....

इस बार तो अगर चुनावी जंग निजी न्यूज़ चैनल्स पर शुरू हो गई है....सभी पार्टी ने एक एक चैनल पकड़ लिया ...और अपने गुणगान करवाने शुरू कर दिए....वेबसाइट बनवा डाली...वेबसाइट का प्रचार करवा डाला कि किसकी वेबसाइट सबसे अच्छी है टेक्नोलॉजी के मामले मे ....भला ऐसा करने से वो जिस वर्ग को लुभाने की कोशिश कर रहे है...वो वर्ग नादान तो नहीं....उसे नहीं पता क्या इन्फ्लेशन और बेरोज़गारी जैसे समस्याए क्यों है और इनसे कैसे निदान मिल साकता है...और किसने क्या कदम उठाये है....वैसे ये वर्ग वोट डालता भी या नहीं.....पता नहीं....

वोट कि राजनीति से जो कोलाहल आजकल देश मैं बना हुआ है, वो शायद ही कभी खत्म हो...और देश शायद ही उबर सके इस अभिशाप से...रोज़ नयी जातियाँ बन रही ...नए आरक्षण दिए जा रहे है, बिना जाने कि जरूरत है भी उन्हें या नहीं....बस वोट आने चाहिए...और तो और पुरानी जो हैं उनको भी खुश रखना है .....

हमारे देश कि सभी पार्टियां शायद ही देश को सँभालने के लिए सत्ता मे आना चाहती है...वो चाहती है मेरा वोट बैंक सालामत रहे बस काफी है...देश तो संभलता रहेगा ...जैसा चल रहा है...चलता ही रहेगा....
इन सारी चीजों को देखते हुए वोट डालने का मन तो बिलकुल नहीं करता ...पर जानता हूँ मे नहीं डालूँगा तो नुक्सान न डालने से ज्यादा होगा....तो इन्हें साब वोट कि राजनीति मे अंधी पार्टियों मे से किसी एक तो वोट डालना ही होगा...जो पूरा अँधा न होकर काना ही हो.....

आप लोगो को मेरे विचार कैसे लगे कृपया बताने की कृपा करे...