Sunday 27 December 2009

जयपुर यात्रा मेरी जुबानी ...

जयपुर यात्रा

साल भर के लम्बे इंतज़ार के बाद अपनी श्रीमती जी की इच्छा कुछ हद तक पूरी करने की कोशिश मे हमने जयपुर जाने का प्रोग्राम बनाया। इस छोटी सी जयपुर यात्रा का वर्णन अपने शब्दों मे आप लोगो के लिए पेश कर रहा हूँ....

दिल्ली से जयपुर :

दिल्ली की कडाकेदार सर्दी की परवाह न कर हम ६ बजे घर से जयपुर के लिए रवाना हुए। निकट ही इफ्फको चौक जहां जयपुर के लिए बस मिलती है, वहां पर पहुँचते ही पता चला कि एक गलत राय के चलते हम लोग एक अच्छी बस मे नहीं जा सकते क्योकि उस का टिकट एडवांस मे कराना पड़ता है और वो हमारे पास था नहीं, तो इसका मतलब अब साधारण बस मे हमें सफ़र तय करना था वो भी मजेदार ठण्ड मे...ye तो शुक्र है कि जयपुर जाने के उत्साह के चलते मीनल ने कोई शिकायत नहीं की :)। आगे की यात्रा बिना किसी विघ्न के पूरी हुई और हम ठीक १ बजे जयपुर मे होटल मैं पहुँच चुके थे...

जयपुर भ्रमण पहला दिन:

१ बजे होटल पहुँचने के बाद अच्छे से फ्रेश होकर और पूरी जानकारी और प्लान के के तहत २ जगह देखने का प्रोग्राम बनाया। अल्बर्ट हॉल museum और चोखी ढाणी।अल्बर्ट हॉल बहुत पसंद आया ॥वाकई वो एक अच्छी शुरुआत थी...पता नहीं कितनी ही शताब्दियों पुरानी वस्तुओं का संग्रह था वहाँ... उसके बाद बाहर बैठने के लिए एक अच्छी सी जगह ...ये सब तकरीबन २ घंटे मे समाप्त हुआ, क्योंकि उसके बाद हॉल बंद होना था :( उसके बाद हमने प्रस्थान किया चौखी ढाणी की तरफ...जो की वहाँ से २०-२५ किमी था शायद... और हम वहाँ ६ बजे पहुँच गए थे... वहाँ पहुँचकर समूचे राजस्थान की पारंपरिक चीज़े देखने को मिली ...राजस्थान का कल्चर , खाना, नृत्य, खेल सभी कुछ देखने को मिला... बहुत दिनों बाद खाट पर बैठने की मिला मचान और वो सब जो मैंने अपने गाँव मे देखा है बचपन मे...वहाँ सारी चीज़े राजस्थानी ढंग से बनी हुई थी...बस एक चीज़ वहाँ राजस्थानी नहीं और शायद होनी भी नहीं चाहिए...वो थे " शौचालय " मैंने ऐसे ही मीनल से कहा भी देखो ये लोग हर चीज़ राजस्थानी होने का दावा नहीं कर सकते :) काफी देर घूमने के बाद वहाँ खाना खिलाया गया...जो कि शायद अभी तक सबसे अच्छे से परोसा गया खाना था...पूरे सम्मान के साथ...हमारो दिल्ली कि सेठानी (मीनल को वहां इसी नाम से पुकार रहे थे ) ने पूरे चाव से खाया खाना ...मुझे खाना पसंद तो बहुत आया पर मै उतनी अच्छी तरह से नहीं खा पाया...थोड़े से ही मे पेट भर गया... भोजन के थोड़े ही देर बाद करीब ८:३० बजे हम लोगो वापसी के लिए तैयार थे...पर बाहर जाकर ये देखा की अभी तो लोगो का आना शुरू हुआ था...करीब आधे किलोमीटर की लाइन थी गेट के बाहर.... जो कि बहुत विचित्र सा करने वाला दृश्य था...खैर हम अपना दिन समाप्त करते हुए होटल की तरफ रवाना हुए और ९:३० वापस होटल पहुँच गए....

पहले दिन के फोटो देखने के लिए यहाँ क्लिक करे.... http://picasaweb.google.com/parashar.sachin/JaipurTripDay1?feat=directlink

जयपुर भ्रमण दूसरा दिन:

दूसरे दिन कि शुरुआत सुबह ९ बजे से हुई...पहला पड़ाव था "आमेर का महल " जिसको देखते ही मुख से एक शब्द निकला "अदभुद" इतना विशाल इतना सुन्दर महल था वो...खूब तस्वीरे निकली, बेहतरीन नक्काशी वहाँ कि विशेषता थी...एक चीज़ जो वहां जाकर महसूस हुई मुझे मानो मैं किसी और देश मे आया हुआ हूँ॥क्योंकि वहां विदेशी पर्यटक हम लोगो से कहीं ज्यादा थे...उस ज़माने कि कलाकारी का बेहतरीन नमूना "आमेर पलेस"। वैसे आमेर का किला देखने से पहले हमने "मून स्टोन" नाम के एक होटल मे नाश्ता किया जहां पर प्याज कि कचोरी कढी के साथ मिली जो शायद वहां के जायके और खाने का एक और ढंग था पर था बहुत अच्छा... मजेदार उसके बाद हमने काफी जगह देखी जैसे "city palace", Jal Mahal, Hawa Mahal, Jantar mantar govind ji ka Mandir, Jaipur ki Raj Mata "Gaytri devi ka Market" aur bhi bahut kuch....जिनका विस्तार से वर्णन किया तो आप लोग शायद बोरे हो जाए पढ़ते पढ़ते, संक्षिप्त मे यात्रा का समापन कर रहा हूँ... जयपुर से दिल्ली:

५ बजे तक सब जगह घूमने के बाद हम मीनल कि स्कूल कि मित्र से मिले और फिर एक मौल मे थोडा "timepass " करके ७:३० वाली गाड़ी से वापसी के लिए रवाना हो गए॥ (अब कि बार मैंने जयपुर पहुँचते ही वापसी के लिए टिकट ले लिए थे तो वापसी कि यात्रा काफी सुखद रही और रात १ बजे हम लोग अपने घर वापस आ चुए थे...

दूसरे दिन के फोटो देखने के लिए यहाँ क्लिक करे : http://picasaweb.google.com/parashar.sachin/JaipurTripDay2?feat=directlink

आपको हमारा सफ़र कैसा लगा कृपया जरूर लिखे ....

Wednesday 23 December 2009

आप तो जानते ही हैं ...

तेलंगाना और एक नया राज्य बनने को तैयार है...गिनती शायद २९ हो जायेगी. ..और इसी तरह चलता रहा तो २०१५ तक ३ नए राज्य और बनकर तैयार हो जायेंगे ...
तब गिनती होगी ३० के पार...मतलब हमारा जो नारा है " अनेकता मे एकता का वो और मजबूत होगा ...आखिर हर दुसरे रोज़ हम आपस से अलग जो हो रहे हैं..

निसंदेह ये काम अगर सही सोच के साथ हो तो फायदेमंद है पर अगर राजनीति के नाम पर हो तो फिर देश का बंटाधार होना निश्चित है. सारे राज्य धीरे धीरे गरीब होते जायेंगे क्योंकि हमारे देश मे अब और ज्यादा नेता अमीर होते जायेंगे. ज्यादा प्रदेश होंगे केंद्रीय सरकार का बजट भी हर राज्य के लिए कम होगा....पर ये सोचिये हमारे मंत्रियो का प्रतिशत बजट कौन कम करेगा...और अगर वो कम नहीं हो सकता तो नुक्सान तो जनता को ही होना है... पर फिर वो ही पुरानी बात आगे आ जाती है की जनता की सोचता ही कौन है ...अगर आज कांग्रेस के शासन काल मे तेलंगाना बना है तो भविष्य मे इसका फायदा तो कांग्रेस को ही होना है...ये तो रायल्टी देनेवाला प्रदेश बन जाएगा...इसी तरह हर राज्य के साथ होगा.. और भला अंत मे नेता लोगो का ही होना है.... आप तो जानते ही हैं जनता की सोचता ही कौन है...

आप ही अब अपने बारे मे सोचिये ...१०० -१०० रूपये देकर १५०००-२०००० लोगो को लेकर धरने लगाओ और १-२ साल के अन्दर ही आपके लिए एक नया राज्य तैयार ...कमाल की राजनीति है ..इतना बूम तो आजकल राजनीती और मीडिया को छोड़ कर किसी और इंडस्ट्री मे नज़र नहीं आता मुझे...

इसके पीछे काफी बड़ा हाथ तो प्रिंट मीडिया और न्यूज़ चैनल का भी है ...पर हम उनकी बुराई कर नहीं सकते ....विडम्बना ये है की उसके लिए भी हमें मीडिया का ही सहारा लेना पड़ेगा ...सो ले देकर भड़ास नेता लोगो पर ही निकल लेते है लोग..मीडिया हलके से बाजू कट लेता है दुसरे मुद्दे की और...

हिंदुस्तान जिंदाबाद रहेगा..नेता हमेशा जिंदाबाद रहेंगे...आप तो जानते ही है जनता की सोचता ही कौन है..