Thursday 9 December 2010

ज़िन्दगी और ग़फलत

गर हमें जरा सी ग़फलत ना होती।
ये ज़िन्दगी इतनी खूबसूरत ना होती।
सच की कडवाहट का अंदाजा होता
एक अधूरी सी जीत की , कभी ख़ुशी ना होती।

गर हमें जरा सी ग़फलत ना होती
ये ज़िन्दगी इतनी खूबसूरत ना होती।

अपनी चाल चलन और सोच
हर दफ्फ़ा ना होती बेहतर
कभी खुद को भी तोला होता
कहीं किसी से कमतर
तभी समझ ये आता, क्या हो सकता था जो हुआ नहीं
अहसास ये होता, क्या पा सकते थे जो मिला नहीं...
अपने जीवन में भी, कुछ बाकी हसरत होती
गर हमें जरा सी ग़फलत ना होती...

सोच रहा हूँ क्या करें...
कितनी रखे , कितनी रहने दें ...
अब समझे, शायद ये ज़िन्दगी ही ना होती॥
गर हमें जरा सी ग़फलत ना होती...

सचिन्द्र कुमार

Friday 28 May 2010

बहुत समय बीत गया

बहुत समय बीत गया
कलम मेरी चली नहीं...
कुछ बात तो होगी ..
जो वजह कोई मिली नहीं ..

कुछ नहीं मेरे दायरे में ऐसा
जिस पर कुछ लिख सकूँ
किसी ओर रुख किया तो
कोई राह नज़र आई नहीं

कोई कसक नहीं जो कह सकूँ
कोई दर्द नहीं जो बता सकूँ
कोई ख़ुशी होती तो बाँट लेता
पर वो भी दामन में आई नहीं

बहुत समय बीत गया
कलम मेरी चली नहीं...
कुछ बात तो होगी ..
जो वजह कोई मिली नहीं ..

Wednesday 3 February 2010

अक्सर ऐसा क्यों होता है


अक्सर ऐसा क्यों होता है.
कभी कभी सब कुछ पैसा क्यों होता है..
दिन भर लाख हो खुशियाँ साथ मे
फिर रात मे दिल क्यों रोता है ..

क्या नहीं है पास मेरे जिसके लिए मै भाग रहा हूँ
गर मिल गया तो क्या रुक कर सांस लूँगा
एक दौड़ लगी है खुद से ये सोच बिना ही
मन क्या पाता है क्या खोता है..

अक्सर ऐसा क्यों होता है..
कभी कभी सब कुछ पैसा क्यों होता है

सपने अभी भी पास हैं मेरे ,
पर अपनों से कितना दूर हूँ मैं .
फिर भी इस झूठे मोल भाव मे
क्यों कोई सपना भारी होता है.


अक्सर ऐसा क्यों होता है
कभी कभी सब कुछ पैसा क्यों होता है.

Wednesday 27 January 2010

कोई होता ना तो ...


इन पंक्तियों का सार है कि ...ज़िन्दगी हमेशा चलती रहती है , किसी के होने या ना होने से ये रूकती नहीं... आप किसी के साथ हो या कोई अपना छोड़ गया हो॥ समय हमें सिखा देता है कि आगे कैसे बढ़ना है.. थोडा शायराना लहजे में पढने की कोशिश करें.

कोई होता ना दिले आशियाँ मे तो क्या होता,
कोई रहता ना ख्वाबों के मकाँ मे तो क्या होता...
नहीं जी पाते हैं जुदा होकर , बात कहने की है,
नहीं जी पाते हैं जुदा होकर , बात कहने की है,

आज दिल फिर टूट जाता तो क्या होता...

ख्वाहिशें दिल की दिल मे रह जाती है,
हसरतें पूरी ना हो तो ये सताती हैं ॥
सफ़र मे हमसफ़र बन जाए कोई , ये बाते रोज़ नहीं होती,
सफ़र मे हमसफ़र बन जाए कोई , ये बाते रोज़ नहीं होती

कोई हमसफ़र बन के साथ छोड़ देता तो क्या होता।

कोई होता ना दिले आशियाँ मे तो क्या होता,
कोई रहता ना ख़्वाबों के मकाँ मे तो क्या होता.......