आज अगर वो कुछ लिखते..मेरे बारे में क्या लिखते॥
कल तक सब कुछ अच्छा था..मेरा आना जाना था
आज जब हम लौटे हैं नहीं तो, ऐसे में वो क्या लिखते॥
आज अगर वो कुछ लिखते..मेरे बारे में क्या लिखते॥
वो तो मुझको समझे होंगे..खुद को भी समझाया होगा॥
मुझसे सवाल का मतलब ना था..पर, औरो को जवाब में क्या लिखते ॥
आज अगर वो कुछ लिखते..मेरे बारे में क्या लिखते॥
सचिन्द्र कुमार
Thursday 29 September 2011
Saturday 3 September 2011
तेरे होंठो से छूकर निकली..सुनी जो ग़ज़ल
मैं जरा सा बहक गया था..अभी गया हूँ संभल
शब् में भी आते हैं अब तो..ख्वाब अच्छे भले...
शब् में भी आते हैं अब तो..ख्वाब अच्छे भले..
सुकून सा भी मिलने लगा है दिल को आजकल..
मुझे एक गम था..उन दूरीयों का जो भी थी दरमियान
वो हंस दिए तो दायरा भी मेरा गया है बदल
मैं जरा सा बहक गया था..अभी गया हूँ संभल
उन्हें भी इश्क था हमसे बस एक हिचक सी थी..
जरा यकीन सा हुआ उनको तो... डर गया था निकल
तेरे होंठो से छूकर निकली..सुनी जो ग़ज़ल
मैं जरा सा बहक गया था..अभी गया हूँ संभल
सचिन्द्र कुमार
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