Wednesday 3 February 2010

अक्सर ऐसा क्यों होता है


अक्सर ऐसा क्यों होता है.
कभी कभी सब कुछ पैसा क्यों होता है..
दिन भर लाख हो खुशियाँ साथ मे
फिर रात मे दिल क्यों रोता है ..

क्या नहीं है पास मेरे जिसके लिए मै भाग रहा हूँ
गर मिल गया तो क्या रुक कर सांस लूँगा
एक दौड़ लगी है खुद से ये सोच बिना ही
मन क्या पाता है क्या खोता है..

अक्सर ऐसा क्यों होता है..
कभी कभी सब कुछ पैसा क्यों होता है

सपने अभी भी पास हैं मेरे ,
पर अपनों से कितना दूर हूँ मैं .
फिर भी इस झूठे मोल भाव मे
क्यों कोई सपना भारी होता है.


अक्सर ऐसा क्यों होता है
कभी कभी सब कुछ पैसा क्यों होता है.