Saturday 28 January 2012

कुछ और विचार..

हाथो में हाथ देखा उन्हें तो तेरी याद आती है..
मुड़कर देखा तो, जहां हमसफ़र थे वो राहे याद आती हैं
नज़र आया वो चौराहा तो आज भी हंसी आ गई ..
वो बतलाते हैं मुझको ये शहर बदल गया है..
पर इसमें तेरी खुशबू आज भी वोही आती है...
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मुलाकाते चार..तेरा तस्वुर बार बार..
और नुमाया हमारा इश्क हो गया ...
इल्ताजाये मोहब्बत खुदा से है कभी ऐसा ना हो..
की एक आगे बढ़ गया और..एक तकता रह गया..
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तन्हा हो गर तो पुरानी बाते सोच लेते हैं..
वसले यार की ख्वाइश हो तो हम ख्वाब देख लेते हैं..
मुलाक़ात के लम्हों को आने में अभी वक़्त है..
तब तलक तेरी यादो में प्यार ढूँढ लेते हैं..
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लम्हा था वो जब हम साथ चले थे..
नयी सुबह थी, अलग ही अहसास था..
तुम्हारा साथ कुछ ख़ास था..
संग चले, दो बाते हुई..
कुछ पसंद- नापसंद जाना..


लम्हा था वो, आज फिर से याद आया तो...
फिर से साथ चलने का, दो और बाते करने का मन कर रहा है..
आज फिर से तुम्हे जान लेने का मन है ..
आज फिर से वो लम्हा जी लेने का दिल कर रहा है...
आज फिर से इकरार कर ले का जी कर रहा है..
लम्हा था वो॥


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सचिन्द्र कुमार