Monday 5 January 2009

ज़िन्दगी - एक दौड़

गर्दिश मे सितारे मेरे सही,
पर उम्मीद अभी भी बाकी है.

हार न मानूगा हरगिज़ मैं,
आसार जीत के अभी बाकी है.

जाम-ऐ-रौशनी दिखलाएगी,
ये रात चांदनी ख़ुद ही साकी है.

क्या हुआ यार जो आज गिरे हम,
पर ये दौड़ अभी भी बाकी है।

 
................... सचिन्द्र कुमार

2 comments:

Sachin Dubey said...

thats really great brother...!!!


I really appreciate it...

Rajee said...

Good one.....Keep it up....