आने वाली खुशियों को महसूस का रहा हूँ
मैं भी आज कुछ लिखने की कोशिश कर रहा हूँ
एक सुनहरा साल बीतने को है ज़िन्दगी का...
इस साल के हसीं लम्हों को समेटने की कोशिश कर रहा हूँ
किसी और देश की जमीं पर थे जब इस वर्ष के शुरूआती दिन आए...
अपनों की कमी का दुख हमें जा रहा था सताए,
फिर भी जिए शान से सभी मुशिकिलो को भुलाए ....
जिन पर नाज़ है आज हमें...वो रिश्ते हैं इसी साल बनाए...
कुछ ने हमें प्यार दिया ...कुछ ने दुत्कार भी दिया,
कुछ ने जीना सिखाया ...कुछ ने ज़िन्दगी को आकार दिया.
इसी सीखने सिखाने मे मैं बहुत कुछ सीख गया...
पता भी न चला वक्त का... और एक साल बीत गया.
समापन २००८...
आने वाले वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाये
सचिन्द्र कुमार
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