एक और रविवार ...थोड़ा अच्छा और थोड़ा बेकार.... आज तो पिछले १ हफ्ते मैं दूसरा ऐसा काम करने की इच्छा पूरी हुई है जिससे मैं काफ़ी सालो से वंचित था..पिछले हफ्ते ही मैंने बसंत पंचमी बनाई हरिद्वार में लगभग 5 साल बाद और इस बार पूरी ki मेरी क्रिकेट मैच खेलने की तमन्ना .... लगभाग ५ या उस से ज्यादा समय हो चुका था एक अच्छी जगह पर क्रिकेट खेले ...किसी स्टेडियम में पूरी व्हाइट किट पहने हुए अरसा बीत गया था ...आज अचानक से कुछ समीकरण इस तरह बने की एक ये इच्छा भी पूरी हो गई... दरअसल मुझे पिछले सोमवार को ही पता लग गया था की शायद मुझे खेलने का मौका मिले. मैं तो उसी वक्त से बहुत अच्छा अच्छा सा महसूस कर रहा था सिर्फ ग्राउंड पर जाने के बारे मैं सोच कर ही , आख़िर इस बार तो मीनल भी गुडगाँव मैं नही थी ...हलाँकि इस जगह मैं थोड़ा स्वार्थी भी हो गया था :) जो अपनी इस इच्छा को जयादा महत्व दिया बजाय इसके की मैं हरिद्वार चला जाता .... कल रात से वो ही पुरानी बचैनी सी थी जैसे की 10 या १२ क्लास के समय होती थी...हालाँकि उस वक्त मम्मी का डर अन्तिम समय तक लगा रहता था की अनुमति मिलेगी भी या नही...इस बार मम्मी और मीनल (my wife) दोनों से मिल गई थी फ़ोन पर ही खेलने के लिए ...और मैं तैयार हो गया आज सुबह १२:३० के मैच के लिए. रविवार ८ फ़रवरी,२००९ १०:३० ऐ .म मैं अपने दोस्त रोहित के हॉस्टल से निकला ग्राउंड के लिए ...पहुंचना था म.डी.सी स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स, अशोक विहार. उस से पहले व्हाइट किट का भी इंतजाम करना था ...तो उसकी खोज मैं पहुँचा पास ही के विशाल मेगा मार्ट, एक लोअर खरीद कर मैं आगे बढ़ा ...बस और मेट्रो की सहायता से मैंने दूरी लगभग ४५ min पूरी की ...भला हो मेट्रो का जो इतनी जल्दी सम्भव हो सका पहुंचना... रास्ते भर इस्सी बात से इतना उत्साहित था की मैं ग्राउंड पर जा रहा हूँ ...ये सोचा भी नही की खेलने का मौका मिलेगा भी या नही....क्युओंकी मैं पहली बार जा रहा था...बिना किसी पहचान के ...किसी को ये तक नही पता था की मैं किस पक्ष मैं दक्ष हूँ ...गेंदबाजी या बल्लेबाजी...छोडिये ये तो मेरी प्राथमिकता थी नही...पहली प्राथमिकता तो ग्राउंड समय पर पहुंचा थी...फिर हो सका तो कम से कम प्रक्टिस का पार्ट तो बन ही जाऊं किसी तरह...अगला लक्ष्य था प्रक्टिस मैं इम्प्रेशन ज़माने का ...क्युओंकी वोही एक मौका था का जिसमे मैं बता सकता था की मेरी उपयोगिता क्या है ....और ये सब भी अच्छा रहा तो किसी तरह अन्तिम ग्यारह मैं पहुँचने का ....बस इसके बाद कुछ नही सोचा क्युओंकी मुझे पता था यही सबसे मुश्किल होगा ...आख़िर टीम मेरे ऑफिस के सभी ऊँचे ओहदे और बॉस लोग थे ...जो कम से कम मेरी वजह से तो बाहर नही बठेंगे ....वह करीब १८ लोग आए हुए थे हमारी तरफ़ से.... यही सब सोचता सोचता मैं ठीक १२:३० पर स्टेडियम पहुँच गया और जैसा सोचा था सबसे पहले...अभी तो पिछला मैच ही खेला जा रहा था दूसरी टीम का.., १५ इन तक कोई नही दिखा तो मुझे लगा कही रद्द तो नही हो गया match..खैर धीरे धीरे करके हमारे सदस्यों का आना शुरू हुआ तो मुझे ये विशवास हो गया की अपना मैच भी होगा कम से कम ..... एक, २, करते करते चंद मिनटों मैं ही सभी खिलाडी आ gaye .... बड़ा अजीब सा लग रहा था ...सब एक दुसरे को जानते थे और मैं एक नए खिलाड़ी की तरह अलग से खड़ा देख रहा था...fir भी खुश की चलो कोई नही हूँ तो इन्ही के साथ... मेरे कप्तान ने मुझे देखा और पुछा क्या करते हो...बोलिंग या बैटिंग ...मैंने दबे शब्दों मैं कहा बोलिंग ...क्युओंकी उसमे number आने के चांस ज्यादा रहते हैं हमेशा क्रिकेट मैं अगर नए हो आप तो.....हुआ भी वैसा ही...उसने मेरे हाथ मैं गेंद दे दी और कहा आ जाओ हम थोडी प्रक्टिस करेंगे ....तब तक मैं अपनी किट change और थोड़ा वार्मअप कर चुका था....तो मैं हलकी फुल्की गेंदबाजी के लिए तैयार था ....और मेरी गेंद फेकने की इच्छा पूरी होने वाली थी :) ...पहली गेंद उसको जब फेंकी तो उसने इतनी ज़ोर से मारा की मन किया अगली बल मुँह पर मार दूँ :) :) ...सही मैं अगर प्रक्टिस नेट्स नही होते तो पता नही ball कहाँ जाकर गिरती ....:) :) मन ही मन २ गालियाँ दी और ख़ुद मैं विश्वास रखते हुए दूसरी फेंकी...पर नतीजा फिर वोही ..हालाँकि इस बार वो इतनी ज़ोर से नही मार पाया ...मैं थोड़ा खुश हुआ चलो कुछ बेटर है ....उसके बाद तो मैं भी थोड़े रंग मैं आने लगा ...कुछ अच्छी गेंदे भी डाली मैंने ....पर फिर मुझे लगा शायद कमी रह गई हो.....और १० इन के बाद वो बोला चलो टॉस का टाइम हो गया और अन्तिम ग्यारह भी बताने है अभी.....मेरी उत्सुकता अचानक से बढ़ गई ...अब क्या होगा....मैं अचानक से अपने विचारो से ज्यादा की उम्मीद करने लगा ....मुझे लगा की यार अब टीम नही लिया गया तो बहुत बुरा लगेगा और...करने लगा प्रार्थना मन ही मन.....उसी वक्त मुझे आवाज़ सुने दी...और विश्वास हो गया की हनुमान जी ने सुन ली....और उसके शब्द थे की मैं टीम का नया सदस्य हूँ...१० मिनट काम कर गए.....और मैच के लिए मैं सेलेक्ट हो गया....और मैच शुरू हो गया ... मैच शुरू हुआ ...हमारी गेंदबाजी थी....हम सब कप्तान के साथ बीच मैदान मैं थे जहाँ से वो निर्देश दे रहा था सबकी स्थिति की...मुझे अपनी का अंदेशा था ...कीपर के पीछे(fine leg)...बस्ती लेवल से लेकर इंडिया लेवल ...हर नया खिलाड़ी wahin खड़ा किया जाता है...:) :) तो मैंने बिना कहे ही लगभग उसी तरफ़ कदम उठाने शुरू कर दिए थे...और mujhe आवाज़ भी आगई की सचिन्द्र वहां पीछे पहुँच जाओ....उसके बाद जो हुआ वो सिर्फ़ एक लाइन मैं ख़तम हो गया.... जी हाँ ...मैं २५ ओवेर्स तक वोही खड़ा रहा और...गेंदबाजी का तो मौका ही नही मिला....बहुत निराशा मिली ...........पर आशा से बहुत अधिक तो मुझे मिल ही चुका था.... पहली इनिंग ख़तम हुई तो स्कोर था १८५, २५ ओवेर्स मैं....बहुत आसान सा लग रहा था ग्राउंड को देखते हुए ....बलेबाजी की तो मुझे कोई उम्मीद ही नज़र नही आती थी.....अच्छा हुआ रखी भी नही...क्युओंकी उसी वक्त मुझे पता चला मेरी जगह कोई और बल्लेबाज़ी करेगा ...मैं तो सुपर sub की तरह था ...वो नियम जो बंद कर दिया गया है....पर यहाँ था ताकि १२ खिलाडी खेल सके टीम मैं......चलो वैसे भी मुझे उम्मीद नही थी क्योंकि देखने मैं और बातो के आताम्विश्वास से सभी मुझे सहवाग और तेंदुलकर नज़र आ रहे थे.....ऐसा लग रहा था की कहीं १५ ओवर मैं न ख़तम कर दे मैच...... सची सोचा था मैंने ....सभी सहवाग और तेंदुलकर की तरह ही थे ...पर अफसोस उस दिन वाले जब वो लाइन लगा कर आते है वापस पैवेलियन मैं....जैसा वो श्रीलंका मैं कर रहे थे वैसा hi हमारी team के सहवाग और युवराज कर रहे थे ....सभी १५ ओवर मैं बाहर आ गए....क्या कमाल का तुक्का था मैच वाकई १५ ओवर मैं ही ख़तम हो गया...बस नतीजा जरा अलग था... अपन ने तो अच्छा सा लंच किया अपनी टीम की बैटिंग के दौरान ...खूब चाय पानी पिया...क्युओंकी कुछ था ही नही अब तो करने के लिए ....मैच के बाद कोच की झाड़ सुनने मैं अपन सामने नही आए ...क्युओंकी कुछ किया ही नही मैच मैं सिवाय फिलेदिंग के और उसमे भी २ बार गेंद आई मेरी तरफ़ वो पकड़ कर दे दी ठीक ठाक तरीके से .....शाम को एक ऑफिस की गाड़ी ने घर छोड़ दिया ...और दिनचर्या ख़तम बाहर की....और खाना बनने की टेंशन शुरू.....फिलहाल थकान तो हो ही गई थी ...आखिर इतनी देर खड़ा रहना मजाक थोड़े ही है....नए खिलाडी तक तो पानी बोत्त्ले भी नही आ pati ड्रिंक्स मैं....ज्यादा नही अपने प्रिय फटाफट खाना बनाया-पुलाव और खाया है अभी.......कल सुबह जाते ही ऑफिस मैं झाड़ पड़ने वाली है बॉस की, हैं कुछ पिछले हफ्ते की गलतियां...पर कोई बात नही.....मैं तैयार हूँ आजके इस हसीन सन्डे के बाद.
हालाँकि बेकार कुछ नही था पर क्या करू...इंसान हूँ न ...असंतोष की भावना तो मुझमे भी है ...शायद इसलिए थोड़ा सा अच्छा और थोड़ा bekaar
4 comments:
Nice yaar..acha laga ki iss bhagam bhag jindagi main tu apne liye time to nikal paa raha hai...good keep going on
bahut achha bhai jaan, mazza aa gaya...
gud one or likhte bhi achha ho. nice to have such skills for an engineer
Koi baat nahi.........keep trying
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