Thursday, 21 June 2012

तेरे जाने पर-भाग २

*पिछली पोस्ट -तेरे जाने पर



हमने संग हैं जो पल काटे..
आ रहे याद अब, किस से बांटे |
हर तरह से तेरी याद आती है.
तू रूठती है कैसे ... तू कैसे शर्माती है... .
अब बतलाओ दिल के फ्रेम के लिए,
इनमे से किस तस्वीर को छांटे |

तुझे गए कई रोज़ बीते,
पूछो हमसे ये कैसे बीते..
हमने नाखून बढ़ाये हैं
तू आजाये और हमको डांटे

हमने संग हैं जो पल काटे..
आ रहे याद अब, किस से बांटे |

... सचिन्द्र कुमार.

Friday, 15 June 2012

तेरे जाने पर...

तेरे जाने पर...

शाम को जब दरवाज़े पर,
दफ्तर से आकर दस्तक दी..
कोई हलचल ना महसूस हुई
आहट ना दी कोई सुनाई..

थका हुआ सर झुका जो नीचे
कुण्डी पर लटका था ताला..
फिर से ये अहसास हुआ की,
अब से शाम ना होगी बेहतर,
कैसा लगेगा ये सोचा,
अब जब तुम ना होगी घर पर..

सच बोलू तो तेरी याद,
एक दफ्फ़ा और भी हमको आई..
जब अन्दर आने पर हमने
खुद ही शाम की चाय बनाई..

शाम को जब दरवाज़े पर,
दफ्तर से आकर दस्तक दी..
कोई हलचल ना महसूस हुई
आहट ना दी कोई सुनाई

.....सचिन्द्र कुमार .......

Thursday, 7 June 2012

..........नयी सड़क........
चलते चलते राह पर,
पैरो में बोझ सा महसूस हुआ..
रुक कर देखा तो, नयी सड़क का तारकोल चिपक गया था जूतों पर.
सूखे हुए हुए पेड़ एक डाली तोड़ ली हमने निजात पाने के लिए,
सोचा कभी फुर्सत से बैठ कर हटा लेंगे..

आज जाने कितने रोज़ बीते..
आज भी मेहनत की डाली से वक़्त को घिस रहे हैं..
पर ये राह आसान होती नज़र नहीं आ रही है...
...
इस नयी सड़क का भारीपन अभी भी बरक़रार है..
सचिन्द्र कुमार..

Friday, 1 June 2012

तेरे दामन से लिपटे हैं..
मेरे जीवन के दो पहलू ..
आज भी दिल ये चाहता है,
तुझे पा लू, तुझे छू लू ...

नहीं ये बात एक दो बात की,
जो यूँ ही भुला दे हम..
हजारो याद हैं उनमे,
क्या रखूँ याद क्या भूलू...

तेरे दामन से लिपटे हैं..
मेरे जीवन के दो पहलू ..
आज भी दिल ये चाहता है,
तुझे पा लू, तुझे छू लू
...

....सचिन्द्र कुमार

Monday, 7 May 2012

Unacceptable…Please Share
Being one of the biggest telecom operator in our country, Airtel must also reckon it as a moral responsibility to not spread any wrong ideas in customers' minds, especially youth. I am totally against this poster advertisement hoardings on Mumbai roads showing a young guy surfing Internet while hanging on Train pole. Such a carelessness leads to a mishap, everyday, with those who follow it..
I want Airtel to remove these kind of hoardings ASAP..if you are with me please share..

Saturday, 28 January 2012

कुछ और विचार..

हाथो में हाथ देखा उन्हें तो तेरी याद आती है..
मुड़कर देखा तो, जहां हमसफ़र थे वो राहे याद आती हैं
नज़र आया वो चौराहा तो आज भी हंसी आ गई ..
वो बतलाते हैं मुझको ये शहर बदल गया है..
पर इसमें तेरी खुशबू आज भी वोही आती है...
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मुलाकाते चार..तेरा तस्वुर बार बार..
और नुमाया हमारा इश्क हो गया ...
इल्ताजाये मोहब्बत खुदा से है कभी ऐसा ना हो..
की एक आगे बढ़ गया और..एक तकता रह गया..
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तन्हा हो गर तो पुरानी बाते सोच लेते हैं..
वसले यार की ख्वाइश हो तो हम ख्वाब देख लेते हैं..
मुलाक़ात के लम्हों को आने में अभी वक़्त है..
तब तलक तेरी यादो में प्यार ढूँढ लेते हैं..
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लम्हा था वो जब हम साथ चले थे..
नयी सुबह थी, अलग ही अहसास था..
तुम्हारा साथ कुछ ख़ास था..
संग चले, दो बाते हुई..
कुछ पसंद- नापसंद जाना..


लम्हा था वो, आज फिर से याद आया तो...
फिर से साथ चलने का, दो और बाते करने का मन कर रहा है..
आज फिर से तुम्हे जान लेने का मन है ..
आज फिर से वो लम्हा जी लेने का दिल कर रहा है...
आज फिर से इकरार कर ले का जी कर रहा है..
लम्हा था वो॥


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सचिन्द्र कुमार

Thursday, 6 October 2011

दिल सपने तेरे बुनता है..

एक ग़ज़ल..


दिल सपने तेरे बुनता है..आखिर इसका हक बनता है..
पास नहीं है तू फिर भी ये..तेरी आवाज़े सुनता है..
दिल सपने तेरे बुनता है..आखिर इसका हक बनता है..

लोग तो और भी, पास हैं मेरे..साथ है हस्ते, साथ हैं चलते...
लेकिन तेरी बात अलग है,,लेकिन तेरी बात अलग है
औरो को ये..कहाँ चुनता है..
दिल सपने तेरे बुनता है..आखिर इसका हक बनता है..

माना ये दुनिया बड़ी हंसी है..यारो की भी कमी नहीं है..
पर फिर भी इस चकाचौंध में..पर फिर भी इस चकाचौंध में..
मेरा भला कब..मन रमता है..
दिल सपने तेरे बुनता है..आखिर इसका हक बनता है..

कौन यहाँ जो रोके मुझको..कोई नहीं जो टोके मुझको..
तुम भी मना मुझे कर नहीं सकते..तुम भी मना मुझे कर नहीं सकते..
समझाया ना..हक बनता है ...
दिल सपने तेरे बुनता है..आखिर इसका हक बनता है..
......आखिर इसका हक बनता है..

...सचिन्द्र कुमार..