कोई तन्हा है इस कदर
समंदर मे की जहाज की तरह..
आवारा फिर रहा है वो
वादियों मैं आवाज़ की तरह...
गर पूरी हो गई होती तलाश उसकी भी
तो छुपा लेता वो भी खुद को....
अनकहे अल्फाज़ की तरह ..
Sachindra Kumar


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