Sunday, 12 April 2020

COVID-19 Present a case for a quick 5G rollout.
The whole world is facing this pandemic and fighting against this in one way or another, and I am hoping we will come out of this very soon. But what this period has given us is nothing but learning that we should be ready for any contingency in the future.
We have been hearing about the industries shutting down because of the reduced manpower due to Lockdowns, many industries might face this issue in the coming months. But, In the last two months whatever we have discussed and mostly focusing is about the current economy descending, a current lot of skill set sitting idle at home.
What I would like to highlight is the concern about the elements which will build the future economy, infrastructure, doctors, engineers, lawyers and experts from every field. What has affected the most is the shutting down of schools, institutions, universities which will affect the students who were pursuing a career in their respective fields.
We have stopped the examinations, let's forget about the academic level we have to postpone the competitive exams because of which means no one would be able to get the admission this year and at the same time there will be no graduations this year from their colleges. On one side this will create more number of students will be applying next year at the same time which will make it more difficult to get into colleges and on the other side due to unfinished graduations of the current batch will lead to no job applications to companies and hence there will be a long queue fighting for the place in the organization by the time things get back to normalcy. This could lead to big un-employment gridlock which any country might face.

Schools and Institutions are trying their best to conduct online sessions, providing materials to students but the problem is that not everyone at home has the speed and connectivity to download the contents on time or watch live classes as whatever bandwidth we have at home is shared among all the users nearby using all kind of necessary and mostly unnecessary applications. So what they need a dedicated bandwidth for academic purpose.

Yes, I agree these are tough days and these measures are necessary as nothing comes before the human life but we cannot just hope for things to get better and then start working in the same ways as we do in a normal scenario, because we don’t know what will happen if a new virus appears next year we just cannot stop the everything again.
This is where a case arises that we have to build solutions and build them quickly enough to handle the contingency next time. For now, solutions lie in 5G.

Govt should expedite the 5G rollout they should relax the norms for the 5G Spectrum. They should focus more on setting it up first and can do the financials later. This is not for 1 or 2 countries, this for across the globe.

When I say 5G, I focus on standalone Configuration which includes 5G core. There will not be enough benefits by providing 5G with existing 4G setup (Non-Standalone configuration with EPC) as that will only help in giving higher speed which might end up utilized with Social media, video upload, WhatsApp, TikTok, etc, so that will not solve the purpose.

Standalone 5G can provide real benefits in this scenario where Network Slicing<https://www.nokia.com/blog/promising-technology-powerful-business-enabler/> technology can be used appropriately used to giving the dedicated network slice for
1. Academic institution's website/live lectures/ online exams/results/upload and download of hand notes
2. We can move towards driverless transport management which will help move goods from one place to another with less human intervention.
3. There will not be a requirement of manpower everywhere for observing the machinery in big industries as it will be possible with low latency and IoT connectivity possibility with 5G.
4. In medical industries, there will be the possibility of remote surgeries that keep the requirement of many doctors in hospitals. As doctors will be able to share expertise and help to local staff remotely and quickly.
5. More and more sensor devices can be connected with the dedicated network slice and will help to reduce the human intervention on a big scale.
These are only a few but important use cases which makes the case for early 5G rollout. We have to build a 5G network first for these essentials services rather than for social medial content and this is very much possible with 5G Core.

5G Eco-System: Yes this can not be done overnight as we are short of many things like 5G supported device, 5G Equippments- Radio and especially 5G Core is still evolving. But all these technical development can be put on fast track once the government will start showing their support for MSP, Chipset Manufacturers, Equipment vendor, Handset manufacturers and make sure they will get all the benefits for producing more 5G devices.
Still, there are options available through which 5G benefits can be given to a user in the form of WiFi services(FWPA<https://www.nokia.com/networks/solutions/fixed-access-network-slicing/>). So we can provide high speed in rural areas as well so that students from all the places can benefit from this.

Sachindra Kumar
 

Sunday, 22 September 2013

नारी के अन्दर छुपे सभी गुण और शक्तियों को चंद शब्दों में प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहा हूँ ... हाँलाकि चंद पंक्तियों में इसका वर्णन संभव नहीं है किंतु फिर भी एक छोटा सा प्रयास है ये ..

....आशा .... 

मुझको भी खुद से आशा है 
मैं भी आगे बढ़ सकती हूँ 
छोटा सा एक प्रयास जो हो तो, 
नभ की उंचाई छू सकती हूँ

ये जो सामाजिक भेदभाव है 
ये मुझ पर उपहास है
मैं भी हर काम में सक्षम हूँ
मैं भी जीत की परिभाषा हूँ।

मैं मद्धम हवा सी चल सकती हूँ,
शीतल नदी सी बह सकती हूँ,
आए जो कोई विपत्ति तो
तप्त ज्वाला सी जला सकती हूँ।

मुझसे ना ऐसे भेद करो
न शिक्षा से मेरा विच्छेद करो
मैंने परिवार चलाये हैं,
देश भी मैं चला सकती हूँ।

मुझको भी खुद से आशा है
मैं भी आगे बढ़ सकती हूँ
छोटा सा एक प्रयास जो हो तो
नभ की उंचाई छू सकती हूँ।

.....सचिन्द्र कुमार

Wednesday, 13 March 2013

......स्कूल का एक दिन...... 

सुबह के ८ बजे खुली नींद 
घडी देखकर ही खुद पर चिल्लाया 

आधे घंटे में होना है तैयार 
ये सोच सोच कुछ पल घबराया 

ठीक आधे घंटे में दोस्त दरवाज़े पर खड़ा था 
आधा परांठा हाथ में आधा प्लेट में पड़ा था 

जैसे तैसे घर से निकले हम
आज तो जान लगा देंगे
जैसा भी हो पर्चा  आज का ..हम चुटकी में निपटा देंगे

रास्ते में हमने इतना इतिहास दोहराया था
मानो कुछ भूल गए तो नया इतिहास बना बना देंगे

जाते ही स्कूल लगा यूँ हमको झटका
पर्चा था हिंदी का पर इतिहास का मारा था रट्टा

छुप गए जाकर साइकिल स्टैंड पर
मांग के दोस्त की कॉपी
पर समझ आ  गया था ..
इतना पढना न होगा काफी

पर फिर भी सोच लिया था दोनों ने
आज तो जान लगा देंगे
जैसा भी हो पर्चा  आज का ..हम चुटकी में निपटा देंगे

थोड़ी सी मेहनत , थोड़ी सी किस्मत
आखिर में हाँ रंग लायी
कुछ अच्छे कर्मो का ही फल होगा
जो उस दिन कलम थी चल पायी

कॉलर ताने बहार निकले
दोनों एक दूजे को ताकते हुए
मालूम था जो लिखा है अन्दर
लिखा था इधर उधर झांकते हुए

भुला दिया घर जाते हुए सब बातो को
हावी न होने दिया हमने, मस्ती पर जज्बातों को
रास्ते में वो ठेली पर से मूंगफली उठा कर भागे हम
पर चैन उतर गयी साइकिल की ..ऐसे थे अभागे हम

आज वो दिन जब याद आया तो, फिर से चेहरा खिल गया
इस बार घर की सफाई में, स्कूल का बस्ता मिल गया

....सचिन्द्र कुमार

Thursday, 7 February 2013

एकतरफ़ा प्यार की छोटी सी कहानी इन पंक्तियों में पेश है...
 
तेरे मेरे दरमियाँ आशिकी कभी आई ही नहीं,

फिर भी खुदा से यारो हमको, शिकायत हाँ जरा भी नहीं।



तेरे मेरे दरमियाँ आशिकी कभी आई ही नहीं,



...
हम साथ होते हैं हर सुबह, हम साथ होते हैं हर शाम,
भले न हो अपना हाथो में हाथ, पर संग में बिताते हैं लम्हे तमाम

अब अगर कोई कह दे , तेरी आदत न रखना
अब अगर कोई कह दे , तेरी आदत न रखना



इस बात की ....गुंजाईश नहीं



तेरे मेरे दरमियाँ आशिकी कभी आई ही नहीं,
फिर  खुदा  से यारो हमको, शिकायत हाँ जरा भी नहीं।





बरसो तलक तुझसे है बाँटी खुशियाँ, सालो से हैं तेरे गम में शरीक

रहे हम हमेशा तेरे आस पास , पर आ सके हम न तेरे करीब

अब अगर तू ही कह दे, आगे भी न है मुमकिन

अब अगर तू ही कह दे, आगे भी न है मुमकिन


समझेंगे खुदा की इनायत नहीं ...



फिर खुदा से यारो हमको, शिकायत हाँ जरा भी नहीं।

तेरे मेरे दरमियाँ आशिकी कभी आई ही नहीं,



.....सचिन्द्र कुमार

पिछले दिनों मैंने कुछ हास्य कविता के रूप में लिखने की कोशिश करी थी, एक सवाल आया तब मन  में और कुछ सोचा तो जवाब भी खुद निकल आया। उसी सवाल जवाब कुछ पंक्तियाँ  हाज़िर हैं 

जाने कवी लोगो की बीवी और नेताओ से क्या जमती है

की आधे से ज्यादा हास्य कविताएं इन दोनों पर ही बनती है


थोड़ी सी नेताओ की बुराई कर डालो

कुछ कमी रह जाए तो बीवियों की आदत निचौड़ डालो

मजे दिलाओ श्रोताओ को इनके तौर तरीकों के

थोडा लगा दो तड़का पतियों के फूटे नसीबो के।

बात है सच लोगो के मन को, ऐसी ही बाते रमती है

शायद इसीलिए हास्य कविताये, इन दोनों पर ही बनती है


कोई बात नहीं है ऐसी जो इन दोनों में एक हो

बीवी एक ही काफी है ..नेता भले अनेक हो

एकलौती बीवी ही अपनी हमको, नाको चने चबवाती है

और नेताओ की टोली दोस्तों मिल के नोट लुटाती है

बात मजे की ऐसी है की यही हास्य कवियों की टोली

अपने लिए एक बीवी और कई नेताओ को चुनती है


शायद इसीलिए हास्य कविताये इन दोनों पर ही बनती है


.....सचिन्द्र कुमार

Monday, 31 December 2012

आप जानते हैं कौन

*नयी दिल्ली में 16 दिसम्बर,2012 को हुए रेप और हत्याकांड पर।

बहुत समय बीत गया है,

बहुत कुछ बीत गया है,

कई लोगो पर जुल्म हुए

जिन्हें कुछ करना था वो चुप रहे

जो बोले उन्हें चुप कराया गया

सब कुछ ठीक होगा अब से

इस झूठ को दोहराया गया

इस बार हो गयी गलती हमसे

माफ़ करे .. न होगा अगली बार

उम्मीद के साथ भारत के "आप जानते हैं कौन"


 

Saturday, 28 July 2012

...छंटनी...

...छंटनी...



अभी अभी दफ्तर पहुंचे हैं

माहौल में कुछ गर्मी सी है

ताकते हुए एक दुसरे को हम सब

किसी जवाब की तलाश में हैं

तभी एक काबिल दोस्त की गैरमौजूदगी ने

शायद समझा दिया सभी को


पिछले महीने की छंटनी के नतीजे आये हैं आज!






...सचिन्द्र कुमार